6 हजार कैमरों से 25 हजार वर्ग कि.मी में होगी बाघों की गिनती
By dsp bpl On 8 Jan, 2018 At 04:47 PM | Categorized As मध्यप्रदेश | With 0 Comments

प्रदेश में अगले माह होगी बाघों की गणना

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भोपाल। देश के साथ-साथ प्रदेश में भी फरवरी माह में बाघों की गणना होनी है। इसके लिए प्रदेश का वन्य प्राणी संरक्षण विभाग अंतिम दौर की तैयारियों में लगा हुआ है। इस बार की गणना वर्ष 2014 में हुई बाघों की गणना से अलग होगी। इस बार 6 हजार कैमरों से प्रदेश के 25 हजार वर्ग कि.मी. वन क्षेत्र में बाघों की गिनती की जाएगी।

वर्ष 2014 में हुई बाघों की गणना में मध्यप्रदेश से टाइगर स्टेट का खिताब छिन गया था। प्रदेश के वन्य प्राणी संरक्षण विभाग का मानना है कि प्रदेश से टाइगर स्टेट का खिताब छिनना गणना के काम में उच्च क्षमता वाले उपकरणों का इस्तेमाल न होने और कहीं न कहीं हुई छोटी-छोटी चूकों का नतीजा था। वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार भी यह कह चुके हैं कि एनटीसीए ने जिन आंकड़ों के आधार पर कर्नाटक को टाइगर स्टेट का खिताब दिया है, वे वास्तविक नहीं हैं। इसीलिए वर्ष 2018 के फरवरी माह में होने वाली बाघों की गणना के लिए वन्य प्राणी संरक्षण विभाग ने यह लक्ष्य तय किया है कि प्रदेश का कोई भी बाघ इस गणना में छूटे नहीं। इसके लिए इस बार विभाग बड़ी संख्या में कैमरों का उपयोग करने जा रहा है। हालांकि जितने क्षेत्र में इन कैमरों से गिनती की जाएगी, वह प्रदेश के कुल वन क्षेत्र का एक तिहाई ही है, लेकिन यह वह क्षेत्र है जहां बाघों का घनत्व सबसे ज्यादा है।

अन्य संगठनों से भी लेंगे कैमरे: वन्य प्राणी संरक्षण विभाग बाघों की गणना में कैमरों के इस्तेमाल को लेकर कितना संजीदा है, इसका अंदाज इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि विभाग ने इसके लिए अन्य संगठनों से भी कैमरे लिए हैं। प्रदेश के वन्य प्राणी संरक्षण महकमे के पास अपने 4700 कैमरे हैं। विभाग ने इसके अलावा बाघों की गणना में सहयोग करने वाले तीन संगठनों डब्लूडब्लूआई, डब्लूसीटी एवं डब्लूडब्लूएफ से भी गणना के लिए करीब 1500 कैमरे लिए हैं।

कैमरे लगाने का काम शुरू: फरवरी माह में होने वाली बाघों की गणना के लिए कैमरे लगाने का काम शुरू हो गया है। विभाग के प्रवक्ता रजनीश के. सिंह ने बताया कि कैमरे दो-दो के सेट में लगाए जाते हैं और एक जोड़ी कैमरे करी 2 वर्ग कि.मी. क्षेत्र के लिए पर्याप्त होते हैं। गणना के लिए उन चयनित क्षेत्रों में कैमरे लगाए जा रहे हैं, जहां बाघों का आना-जाना अधिक होता है। श्री सिंह का कहना है कि जितने कैमरे उपलब्ध हैं, उनसे करीब 25 हजार कि.मी. वन क्षेत्र में गणना की जा सकेगी। उन्होंने बताया कि गणना के लिए फील्ड स्टाफ को भी गहन प्रशिक्षण दिया जा रहा है और इसके लिए मास्टर ट्रेनर्स की ट्रेनिंग पेच टाइगर रिजर्व में 4 जनवरी से शुरू हो चुकी है।

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