राज्यपाल तक पहुंची शिकायत, हो सकती है बड़ी कार्रवाई
भोपाल। मप्र राज्य सहकारी बैंक मर्यादित (अपेक्स बैंक) भ्रष्टाचार का गढ़ बना हुआ है। यहां विभाग के अफसरों ने पिछले एक दशक में भ्रष्टाचार की कई नई इबारतें लिखी है। मुख्यमंत्री से लेकर प्रमुख सचिव तक कई लोगों को बार- बार शिकायत करने के बाद भी आज तक भ्रष्टाचार के इन मामलों में जिम्मेदारों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गई है। अब इस काले खेल की शिकायत राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को की गई है। उम्मीद जताई जा रही है कि राज्यपाल मामले को संज्ञान में लेकर कठोर कार्रवाई करेंगी।
राजधानी भोपाल के अशोका गार्डन क्षेत्र में रहने वाले एक समाजसेवी रिजवान अहमद ने आरटीआई के माध्यम से सहकारिता विभाग में हुए घोटालों की पूरी जानकारी जुटाई है। मामले में उन्होंने राज्यपाल आनंदीबेन को एक शिकायती आवेदन देकर पूरे मामले की जानकारी दी है। अपने शिकायती आवेदन में रिजवान ने उल्लेख करते हुए बताया है कि किस तरह से अपेक्स बैंक में तत्कालीन प्रभारी प्रबंधक संचालक प्रदीप नीखरा और वर्तमान में सहायक महाप्रबंधक एस एच तोमर द्वारा भ्रष्टाचार का खेल खेला गया है।
दर्जन भर मामले दर्ज, फिर भी कार्रवाई नहीं
शिकायती आवेदन में उल्लेख है कि मप्र राज्य सहकारी बैंक मर्यादित (अपेक्स बैंक) के प्रभारी प्रबंध प्रदीप नीखरा के विरूद्ध लोकायुक्त में 100 करोड़ की जमीन अवैध रूप से बेचने का मामला प्रकरण क्रमांक 132/15 दर्ज है। इसके अलावा नीखरा पर आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो (ई.ओ.डब्ल्यू.) में भी आवास संघ में पदस्थी के दौरान वर्ष 2004 में 50 करोड़ रूपए हानि पहुंचाए जाने के मामले में करीब आधा दर्जन प्रकरण पंजीबद्ध है। अब यहां सवाल यह उठता है कि पिछले 14 सालों में अब तक मामले को लेकर नीखरा पर कोई कठोर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। बात साफ है कि राजनीतिक सांठ गांठ और ऊंची पहुंच के चलते नीखरा के गिरेबान पर आज तक ईओडब्ल्यू में हाथ नहीं डाल सका।
नियम विरूद्ध हुए लाखों के भुगतान
समाजसेवी रिजवान ने अपनी शिकायत में बताया है कि अपेक्स बैंक के तत्कालीन महाप्रबंधक अमर सिंह यादव के विरूद्ध लोकायुक्त छापे में आय से अधिक 5 करोड़ के अधिक मामले अपराध क्रमांक 95/11 दर्ज होने के बावजूद भी प्रदीप नीखरा और एच एस तोमर ने अमर सिंह यादव को लेनदेन करके भ्रष्टाचार पूर्वक बैंक से 45 लाख रूपए का नियम विरूद्ध भुगतान कर दिया। गौरतलब है कि अपेक्स बैंक के प्रभारी प्रबंध संचालक नीखरा और सहायक प्रबंधक तोमर के द्वारा समस्त 38 जिला बैंकों के सीईओ से प्रतिमाह 50 हजार रूपए लिए जाते है। इस प्रकार 19-20 लाख रूपए बैंकों से लेकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है लेकिन प्रभारी संचालक और तोमर के विरूद्ध चल रहे दर्ज अपराधों में आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।
100 करोड़ तक पहुंच सकता है छतरपुर घोटाला
अभी हाल ही में जनवरी 2018 में छतरपुर जिला बैंक एवं सोसायटी में भी भ्रष्टाचार एक ओर नया मामला सामने आया। जिसमें किसानों के नाम पर ऋण लेकर अधिकारियों के खाते में डाला गया है। शुरूआती जांच में करीब 70 करोड़ रूपए का घोटाला सामने आया है लेकिन यह घोटाला भी 100 करोड़ रूपए से ऊपर जा सकता है।