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राजनीतिक प्रतिनिधि . भोपाल
भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय विकास परिषद देश की वास्तविक समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता दिखाने में विफल साबित हुई है। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के समापन पर बारहवीं योजना के लक्ष्य को लेकर हुई बैठक भी आंकड़ों में उलझकर रह गयी।
प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ने बारहवीं योजना में 8 प्रतिशत विकास दर हासिल करने का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम परोसा और कहा कि इससे 10 प्रतिशत गरीबी समाप्त हो जाएगी, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि इससे रोजगार सृजन में क्या कामयाबी हासिल करेंगे। दु:खद तथ्य यह है कि केन्द्र सरकार बार-बार विकास दर बढऩे का दावा जरूर करती है, लेकिन यह नहीं बताती है कि इस विकास की कीमत पर देश में बेरोजगारी की स्थिति भयावह हो रही है। अकेले वर्ष 2012 में 21 प्रतिशत रोजगार के अवसरों में कमी आयी है। श्री सिंह ने कहा कि देश में रोजगार विकास से देश की गरीबी हटने और रोजगार के अवसर बढऩे की कल्पना करना बेमानी है। इसे समावेशी विकास भी नहीं माना जा सकता है, जहां तक प्रधानमंत्री और योजना आयोग का 8 प्रतिशत विकास हासिल करने पर 10 प्रतिशत गरीबी समाप्त होने का दावा है, इसका कोई आधार नहीं है। क्योंकि यूपीए-2 में प्रथम दो वर्षों में विकास की दर दहाई तक पहुंची है, लेकिन गरीबी उन्मूलन पर कोई प्रहार नहीं हुआ। ऐसे में जब विकास दर 5.5 प्रतिशत है और उसे बढ़ाकर 8 प्रतिशत करने का महत्वाकांक्षी मंसूबा बांधा जा रहा है, 10 प्रतिशत गरीबी घटाना मुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय विकास परिषद अपने लक्ष्य से भटक गयी है। राष्ट्रीय विकास परिषद जैसे मंच पर इस बात का विचार होना चाहिए कि रोजगार विहीन विकास किस दिशा में ले जायेगा। सिर्फ  विकास का ढिंढौरा पीटकर न तो गरीबी कम की जा सकती है और न हर हाथ को काम दिया जा सकता है।