अब फॉरन ब्रोकरेज ने इंडियन स्टॉक मार्केट की रेटिंग घटाई

अब फॉरन ब्रोकरेज ने इंडियन स्टॉक मार्केट की रेटिंग घटाई

मुंबई।। इंडियन स्टॉक मार्केट से फॉरन इन्वेस्टर्स का भरोसा उठता जा रहा है। नोमुरा, गोल्डमैन सैक्स, मॉर्गन स्टैनली और यूबीएस ने सेंसेक्स और निफ्टी के टारगेट घटा दिए हैं। इन ब्रोकरेज फर्मों ने अगस्त में इंडियन मार्केट की रेटिंग घटाई है। इससे पहले जून और जुलाई में फॉरेन इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स (एफआईआई) ने मार्केट से 3 अरब डॉलर निकाले थे। इस साल डॉलर के मुकाबले रुपया 10 फीसदी गिरा है। वहीं, फाइनैंशल इयर 2013 में जीडीपी ग्रोथ 5 फीसदी के साथ 10 साल के लोअर लेवल पर पहुंच गई थी। इकॉनमी की खराब हालात के बावजूद सरकार बड़े रिफॉर्म नहीं कर रही है। इससे कॉर्पोरेट ग्रोथ सुस्त पड़ी है और कंपनियों का मार्जिन भी कम हुआ है। विदेशी निवेशकों का सेंटीमेंट इन वजहों से खराब हुआ है। अब तक एफआईआई ने इंडियन स्टॉक मार्केट में 138 अरब डॉलर की रकम लगाई है।

नोमुरा के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रभात अवस्थी ने एक नोट में लिखा है, ‘हम मार्च 2014 तक सेंसेक्स का टारगेट 21,700 से घटाकर 20,000 कर रहे हैं। इकनॉमिक ग्रोथ अब भी सुस्त बनी हुई है। सभी सेक्टर्स का बुरा हाल है। पिछले कुछ महीनों में मोमेंटम कमजोर हुआ है।’ आरबीआई ने हाल ही में रुपए को सपोर्ट देने के लिए सिस्टम में कैश कम करने के उपाय किए थे। इससे भी एफआईआई सेंटिमेंट बिगड़ा है। विदेशी फंड मैनेजर कह रहे हैं कि आरबीआई के इन उपायों से जुलाई मध्य के बाद रियल इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी हुई है। इससे मॉनेटरी पॉलिसी भी बेपटरी हो गई है। इसका असर इकनॉमिक ग्रोथ पर भी पड़ेगा और इसमें और कमी आ सकती है।

यूबीएस सिक्यूरिटीज ने एक नोट में लिखा है, ‘हमने निफ्टी के लिए ट्रेडिंग रेंज 5,500-6,400 से घटाकर 5,250-6,100 कर दी है। मार्केट सेंटिमेंट अचानक से काफी खराब हो गया है। हाल में रुपए में कमजोरी और आरबीआई के लिक्विडिटी कम करने के उपायों के चलते मार्केट के लिए रिस्क काफी बढ़ गया है। इससे जल्द इकनॉमिक रिकवरी की उम्मीद भी दम तोड़ सकती है।’ वहीं, गोल्डमैन सैक्स के एनालिस्ट सुनील कौल ने एक नोट में लिखा है, ‘हमने इंडिया की रेटिंग घटाकर डाउनग्रेड कर दी है।

जब तक इकनॉमिक ग्रोथ के पॉजिटिव संकेत नहीं मिलते, तब तक रेटिंग को अपग्रेड नहीं किया जाएगा। हमने निफ्टी के लिए अगले एक साल का टारगेट घटाकर 6,200 कर दिया है। अगर रुपए में और कमजोरी आई, तो यह इससे नीचे रह सकता है।’ कुछ एनालिस्ट्स ने कहा है कि इस फाइनैंशल इयर में कंपनियों का प्रॉफिट 5 फीसदी बढ़ सकता है। यह मार्केट की आम राय से काफी कम है। सेल्स ग्रोथ में भी और गिरावट की आशंका है। यही नहीं, कॉर्पोरेट इंडिया के मार्जिन पर भी प्रेशर बने रहने के आसार हैं।