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शिंगटन : अमेरिका ने कई अन्य आतंकवादी संगठनों के बारे में जांच एजेंसियों को महत्वपूर्ण सूचना मुहैया कराने के कारण मुम्बई हमले के आरोपी और लश्कर-ए-तोएबा के आतंकवादी डेविड हेडली के प्रत्यर्पण से इनकार किया है।
एटर्नी गैरी एस शप्रियो ने कल शिकागो की एक अदालत में बताया कि मुंबई हमले (26/11) का यह आरोपी अमेरिकी में सरकार एवं किसी भी विदेशी न्यायिक प्रक्रिया में वीडियो कांफ्रेंसिंग या पेशी के माध्यम से सहयोग करने पर भी सहमत हो गया।

शप्रियो ने हेडली के प्रत्यर्पण से इनकार किया है क्योंकि पाकिस्तान मूल का यह अमेरिकी नागरिक अमेरिका सरकार के समक्ष अपना गुनाह कबूल कर चुका है और उसने अमेरिकी सरकार को सहयोग देने के साथ अमेरिकी जांच एजेंसियों को विभिन्न आतंकवाद संगठनों के बारे में अहम सूचनाएं दीं।

शप्रियो ने 20 पन्ने के दस्तावेज में कहा कि जैसा कि अदालत को मालूम है कि हेडली की गवाही से भी :तहव्वुर: राणा को दोषी ठहराने में मदद मिली। इसके अलावा, हेडली इस बात पर भी सहमत हो गया कि यदि उसे अमेरिकी अटार्नी कार्यालय द्वारा बुलाया जाता है तो अमेरिका में यहां तक कि देश के बाहर किसी भी न्यायिक कार्यवाही में पेशी, वीडियो कांफ्रेंसिंग या अनुग्रह पत्र के माध्यम से अपनी गवाही देने को तैयार है।

शप्रियो ने बताया कि अमेरिका में (अमेरिकी) जांचकर्ताओं ने पूछताछ तो की ही , उसके अलावा भारतीय अधिकारियों ने भी सात दिनों तक उससे पूछताछ की। उन्होंने कहा कि हेडली ने बिना किसी हिचकिचाहट के उनके सवालों का जवाब दिया। सरकार समझती कि भारत सरकार के लिए यह सूचनाएं उपयोगी रहीं। इसके अलावा हेडली ने अन्य कदम भी उठाए और उसने अधिकारियों की मदद के लिए अन्य सूचनाएं उपलब्ध कराईं। शप्रियो ने बताया कि हेडली ने अक्तूबर, 2009 में अपनी गिरफ्तारी के अगले ही दिन जांच एजेंसियों का सहयोग करने एवं उन्हें सूचनाएं उपलब्ध कराने की ईच्छा जताई। उन्होंने कहा कि उसने जो सूचनाएं दी थी, उसके आधार पर उसे ऐसे आरोपों का सामना करना पड़ सकता था जिनमें उन्हें मृत्युदंड दिया जाता लेकिन वह अपनी गिरफ्तारी सार्वजनिक होने से दो सप्ताह पहले तक जांचकर्ताओं को बातें बताता रहा। दूसरा, हेडली से एक विशेष व्यवस्था (जिसमें अभियोजक और आरोपी के बीच करार होता है और अभियोजक आरोपी को कम सजा दिलाने का आश्वासन देता है) के तहत दर्जनों बार पूछताछ की गई।

हेडली ने लश्कर-ए-तोएबा के बारे में विस्तृत सूचनाएं दी जिसमें उसके संगठनात्मक ढांचा, नेतृत्व, अन्य लोग, भर्ती प्रक्रिया, धन जुटाने के तरीके , प्रशिक्षण प्रक्रिया, हमले करने की योजना, संभावित लक्ष्य आदि बातें शामिल हैं। उसने इलियास कश्मीरी एवं उसके नेटवर्क के बारे में विस्तार से बताया। शप्रियो ने बताया कि हेडली की सूचना के आधार पर कम से कम सात व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक आरोप तय हुए, जिनमें हमले के साजिशकर्ता और लश्कर के वरिष्ठ नेता साजिद मीर के बारे में सूचना शामिल है। मीर हमले के वक्त वह उन व्यक्तियों में शामिल था जो हमलावरों को निर्देश दे रहे थे। हेडली ने भी उसके निर्देश पर उसने इस हमले की साजिश में अपनी भूमिका निभाई थी।

वरिष्ठ लश्कर नेता अबू कहाफा ने दस हमलावरों को लड़ाकू एवं अन्य प्रशिक्षण दिया और वह भी हमले के वक्त वह उन व्यक्तियों में शामिल था जो हमलावरों को निर्देश दे रहे थे। शप्रियो ने अदालत में कहा कि हेडली ने जो सहयोग किया और उसका अभियोजन पक्ष के साथ जो करार है उसके फलस्वरूप तथा भविष्य में उससे मिलने वाले सहयोग तथा अन्य बातों को ध्यान में रखकर सरकार उसके लिए मृत्युदंड की मांग नहीं करने पर सहमत है। वह इस बात से भी सहमत है कि उसे उसके अपराधों के लिए पाकिस्तान, भारत या डेनमार्क प्रत्यर्पित नहीं किया जाए। (एजेंसी)