आखिर संघ के चहेते गडकरी को क्यों देना पड़ा इस्तीफा!
नई दिल्ली। बीजेपी अध्यक्ष पद की कुर्सी नितिन गडकरी को गवांनी पड़ी है। क्यों आखिरी वक्त तक अध्यक्ष पद की रेस में जमे नितिन गडकरी एकाएक खुद ही दौड़ से बाहर हो गए? आखिर संघ के चहेते गडकरी को इस्तीफा क्यों देना पड़ा? गौरतलब है कि नितिन गडकरी की कंपनी पूर्ति में निवेश करने वाली कंपनियों के 9 ठिकानों पर इनकम टैक्स विभाग ने मंगलवार को छानबीन की। आईटी ने खुद गडकरी को पूछताछ के लिए एक फरवरी को बुलाया है, हालांकि गडकरी ने विभाग से और मोहलत मांगी, लेकिन कई ऐसी वजहें रहीं जिसकी वजह से गडकरी को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
शुरुआत हुई इंडिया अगेंस्ट करप्शन की कार्यकर्ता अंजलि दमानिया के सनसनीखेज आरोप से। अंजलि ने महाराष्ट्र सिंचाई घोटाले में गडकरी पर इल्जाम लगाया। अंजलि के मुताबिक कि वो 14 अगस्त को गड़करी से उनके घर पर मिली थीं। उस दौरान गड़करी ने उनसे साफ कहा था कि शरद पवार के खिलाफ वो उनकी कोई मदद नहीं करेंगे, क्योंकि उनके उनसे कारोबारी रिश्ते हैं।
जबकि अंजलि के इन आरोपों के बाद आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने भी गडकरी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पिछले साल 2012 के अक्टूबर महीने में अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि गरीब किसानों का हक हड़पने में बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी की मदद महाराष्ट्र के तत्कालीन सिंचाई मंत्री और शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने की।
अधिग्रहीत की गई। बांध बनने के बाद किसानों ने साल 2000 में बची हुई जमीन सरकार से वापस मांगी, लेकिन 2 साल की चुप्पी के बाद सरकार ने जमीन वापस करने से इनकार कर दिया, लेकिन 2005 में जब गडकरी ने वही जमीन मांगी तो सरकार ने उन्हे एक महीने में ही सौंप दी।
आरोप है कि जमीन के बाद किसानों के पानी पर भी डाका डाला गया। किसानों के लिए बनाए गए बांध का पानी गडकरी की फैक्ट्री और इलाके में मौजूद बाकी फैक्ट्रियों को दे दिया गया। बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी के पावर प्लांट ने इलाके में वायु और जल प्रदूषण फैलाकर हजारों किसानों की जिंदगी को नर्क बना दिया।
इसके बाद गडकरी की कंपनी पूर्ति पर भी सवाल खड़े हुए। सरकारी दस्तावेजों में गडकरी की कंपनी पूर्ती पॉवर एंड शुगर लिमिटे़ड को लोन देने वाली पांच कंपनियों के पते फर्जी निकले। खुलासा हुआ कि एक कंपनी ने गडकरी की कंपनी को 164 करोड़ का लोन बगैर किसी सिक्योरिटी के दे दिया। वहीं आयकर विभाग ने मंगलवार को पूर्ति की निवेशक कंपनियों के 9 ठिकानों पर जाकर फील्ड सर्वे करना शुरू किया तो पानी सिर से उपर गुजरता दिखा।
आयकर विभाग ने गडकरी को एक फरवरी को पूछताछ के लिए बुलाया है। जबकि, गडकरी ने अपना पक्ष रखने के लिए और वक्त मांगा है। हालांकि इनकम टैक्स की इस ताजा कार्रवाई को नितिन गडकरी ही नहीं बीजेपी ने भी राजनीती से प्रेरित बताया। बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन के मुताबिक जिन कम्पनियों पर कार्रवाई की है उनका पूर्ति से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन इस बात का अहसास पार्टी को भी था कि इन मामलों ने गडकरी के खिलाफ जबर्दस्त माहौल बना दिया है। ऐसे में अगर वो दोबारा अध्यक्ष बनते हैं तो पार्टी के लिए 2014 के चुनाव में हमलों का सामना करना मुश्किल होगा और फिर वही हुआ जो गडकरी के विरोधी चाहते थे।
हालांकि नितिन गडकरी का कहना है कि भ्रष्टाचार के मामले में जब जांच ख़त्म होने वाली थी तो राजनितिक षड़यंत्र किया गया। और जब तक पूरी जांच नहीं होती और मैं निर्दोष साबित नहीं होता तब तक मैं दोबारा पार्टी अध्यक्ष नहीं बनुंगा। मुझे जो भी काम दिया गया है, उसे मैंने पूरा किया है।