एक पिता अपने बेटे के साथ पहाड़ों की सैर पर निकला। अचानक बेटा गिर गया। चोट लगने पर उसके मुंह से निकला आह ! तुरंत पहाड़ों में से कहीं – से आवाज आई – आह !
बेटा अचरज में रह गया। उसने फौरन पूछा – तुम कौन हो? सामने से वही सवाल आया,  तुम कौन हो? बेटा चिल्लाया, मैं तुम्हारी तारीफ करता हूं ! पहाड़ों से जवाब आया,  मैं तुम्हारी तारीफ करता हूं !
अपनी बात की नकल करते देखकर बेटा गुस्से में चिल्लाया, डरपोक! जवाब मिला, डरपोक! उसने पिता की ओर देखा और पूछा, यह क्या हो रहा है ?
पिता ने मुस्कुराते हुए कहा , बेटा, जरा ध्यान दो।
इसके बाद पिता चिल्लाया, तुम चैंपियन हो!
जवाब मिला, तुम चैंपियन हो! बेटे को हैरानी हुई लेकिन वह कुछ समझ नहीं सका। इस पर पिता ने उसे समझाया,  लोग इसे गूंज (इको) कहते हैं , लेकिन वास्तव में यह जिंदगी है।  यह आपको हर चीज़ वापस लौटाती है , जो आप कहते हैं या करते हैं। हमारी जिंदगी हमारे कामों का ही प्रतिबिंब है। अगर आप दुनिया में ज्यादा प्यार पाना चाहते हैं तो अपने दिल में ज्यादा प्यार पैदा करें। अगर अपनी टीम में ज्यादा काबिलियत चाहते हैं तो अपनी काबिलियत को बढ़ाएं। यह संबंध जिंदगी के हर पहलू, हर चीज में नजर आता है।