भविष्य भी जान सकते हैं
धुलैंडी से एक दिन पहले होली जलाई जाती है। प्राचीन काल से यह परंपरा चली आ रही है। इसके पीछे होलिका और प्रह्लाद की धार्मिक कथा के अलावा एक मान्यता यह भी है कि होलिका की अग्नि से आने वाले साल का भविष्य भी जाना जाता है।क्योंकि हिन्दू पंचांग के अनुसार यह वर्ष का अंतिम प्रमुख त्योहार है जो आने वाले साल की सूचना भी देता है। इसलिए ज्योतिषशास्त्र में भी होलिका दहन का बड़ा महत्व है।
बनी रहेगी खुशहाली
शास्त्रों में कहा गया है कि होलिका दहन के समय हवा अगर पूर्व दिशा से चले यानी पुरवाई चले तो यह बड़ा ही अच्छा शगुन होता है।पूर्व दिशा को देवताओं की दिशा कहा गया है माना जाता है कि इससे साल खुशहाली भरा रहेगा। राजा प्रजा सभी के लिए साल सुखद होगा।
यह अपशकुन माना जाता है
अगर होलिका दहन के समय दक्षिण दिशा की हवा चले तो यह अपशकुन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे फसलों का नुकसान होगा। मंहगाई बढ़ती है और राज्य की सत्ता भंग होती है। जन विद्रोह होता है।
जब धुआं सीधा ऊपर जाने लगे
अगर होलिका दहन के समय धुआं सीधा आकाश की ओर जाने लगे तो यह बदलाव का सूचक है। यह संकेत है कि जिस व्यक्ति और शासक का वर्चस्व समाज और राजनीति में है उसकी सत्ता जाने वाली है। नई सत्ता और नई सरकार आने वाली है।
यह भी अच्छा शगुन नहीं
पश्चिम दिशा से होलिका दहन के समय हवा चलने लगे तो यह भी अच्छा शगुन नहीं माना जाता है। इसकी वजह यह है कि इससे कृषि की हानि होती है। बेकार खर पतवार की वृद्घि का योग माना जाता है।
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