नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने गुरुवार को कहा कि वह भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के पास सिर्फ ‘संकेत’ भेजता है। संघ ने सरकार पर रिमोर्ट कंट्रोल करने के आरोपों को खारिज किया है। संघ का कहना है कि लोकतंत्र में किसी दूसरे संगठन की तरह सरकार को सुझाव देना उचित है। उसे गर्व है कि उसने अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी के तौर पर दो प्रधानमंत्री देश को दिए है। आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने कहा, ‘आरएसएस के स्वयंसेवक भाजपा में सक्रियता से काम कर रहे हैं और भागीदारी कर रहे हैं। भाजपा ने सार्वजनिक जीवन में आरएसएस के कुछ विचार और विचारधारा को अपनाया है तथा प्रेरणा भी ली है। अगर परिवार के सदस्य सुझाव के लिए आरएसएस के पास आते है तो क्या यह रिमोट कंट्रोल है या स्नेह है।
भाजपा से कोई शिकायत नहीं है और आरएसएस की ओर से कोई इच्छा नहीं है।’ यह पूछे जाने पर कि क्या मौजूदा सरकार में आरएसएस ‘संविधान से इतर प्राधिकार’ है तो उन्होंने कहा, ‘संविधान से इतर प्राधिकार कहां हैं? हम कोई लुका-छिपी नहीं कर रहे हैं। आरएसएस की बैठक में प्रस्तुति गलत नहीं है, वे इस सम्मेलन के समक्ष भी प्रस्तुति दे सकते हैं। यह लोकतंत्र है। हमें किसी भी सरकार को सुझाव देने का अधिकार है।’ मोदी सरकार को आएसएस की ओर से फरमान देने संबंधी आलोचना को खारिज करते हुए होसबोले ने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवक भाजपा में सक्रियता से काम कर रहे हैं और परिवार के सदस्य जैसे हैं।
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