• केंद्र सरकार का दावा है कि अकेले डीबीटी स्कीम से एलपीजी सिलिंडर की सब्सिडी में उसने दो सालों में 21,000 करोड़ रुपये बचा लिए
• सरकार के मुताबिक, कुल 3.34 करोड़ फर्जी एलपीजी कनेक्शन बंद किए गए जिनके जरिए सब्सिडी की बड़ी राशी की लूट होती थी
• फर्जी कनेक्शन बंद होने से बिना सब्सिडी वाले एलपीजी कनेक्शनों की बिक्री में बढ़ोतरी हुई
नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने कहा कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम के तहत एलपीजी सिलिंडर की सब्सिडी के पैसे सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में डालने से दो सालों में 21,000 करोड़ रुपये की बचत हो चुकी है। बचत की राशि का बड़ा हिस्सा जाली, नकली और निष्क्रीय घरेलू एलपीजी कनेक्शनों को खत्म करने से आया है। इन कनेक्शनों में 3.34 करोड़ से ज्यादा डीबीटी स्कीम लागू होने के बाद बंद हो गए।
सरकार के आकलन के मुताबिक, साल 2014-15 में औसतन 368.72 रुपये प्रति सिलिंडर की दर से लागू सब्सिडी के मद्देनजर 3.34 करोड़ गलत कन्जयूमर्स को करीब 14,818.4 करोड़ रुपये गए होंगे। यह आकलन हर परिवार को एक साल में सब्सिडी वाले कुल 12 सिलिंडर मिलने के आधार पर किया गया है। इसी तरह साल 2015-16 में 6,443 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
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