भोपाल/इंदौर। सहायक शिक्षकों एवं प्रधानाध्यापकों से विभेदकारी नीति शासन द्वारा अपनाकर समयमान, वेतनमान के लाभ से वंचित किया गया है। अध्यापकों को 5 साल की सेवा के उपरांत पदोन्नत किया जा रहा है लेकिन स्कूली शिक्षा विभाग में पदस्थ सहायक शिक्षकों को तीन दशक से ज्यादा हो गए लेकिन उन्हें एक भी पदोन्नति नहीं दी गई है, जिससे शिक्षकों में काफी आक्रोश है।
एक तरफ सरकार शिक्षकों के सम्मान की बात कर रही है तो दूसरी तरफ उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार कर अपमान किया जा रहा है। इस भेदभाव से शिक्षकों में जबर्दस्त आक्रोश है और उन्होंने शिक्षक दिवस तक न्याय नहीं मिलने पर इस दिन अपमान दिवस मनाने का निर्णय लिया है।
समग्र शिक्षक व्याख्यता एवं प्राचार्य कल्याण संघ के तत्वाधान में आयोजित प्रांतीय सम्मेलन में शिक्षकों ने जबर्दस्त आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि समयमान, वेतनमान नहीं मिलने से शिक्षकों में आक्रोश है। हम सरकार से लड़ाई लडऩे के लिए तैयार है। सरकार उन्हें ही फायदा पहुंचाती है जो उसका विरोध करते है। हम वर्षों से मौन साधक की तरह अपनी सेवाओं को अंजाम देते आ रहे है इसलिए हमारी याचना को भी अधिकारी अनसुना कर रहे हैं।
समयमान, वेतनमान देने में भेदभाव के विरोध में शिक्षकों को न्यायालय की शरण लेना पड़ रही है। स्वाभिमान की रक्षा के लिए हम पदक भी लौटाने की घोषणा कर रहे है। सरकार प्राचार्यों, व्याख्याताओं, लिपिकों एवं भृत्यों को तो समयमान, वेतनमान का लाभ दे रही है लेकिन सहायक शिक्षकों, शिक्षकों एवं प्रधान अध्यापकों को इस लाभ से वंचित किया जा रहा है।
सहायक शिक्षकों को 30 से 40 साल की सेवा के उपरांत भी पदोन्नत नहीं किया गया है। जिसके विरोध में शिक्षकगण शिक्षक दिवस पर न्याय नहीं मिलने से इसे अपमान दिवस के रूप में मनाएंगे और उग्र आंदोलन भी किया जाएगा। बैठक में प्रांतीय संयोजक सुरेशचंद्र दुबे, प्रांताध्यक्ष मुकेश शर्मा, मार्गदर्शक रामनारायण लेहरी, संतोष जैन, राघव वैष्णव, मनीष जोशी, एल.एन. अग्रवाल, मदनलाल मंडलोई, प्रदीप मालवीय सहित कई शिक्षकगण मौजूद थे।
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