किंगफिशर से बढ़ी दिक्कतें
नई दिल्ली। संकटग्रस्त किंगफिशर एयरलाइंस द्वारा उड़ान रद्द किया जाना बढ़ते विमानन किराए की वजह हो सकता है हालांकि अब तक विमानन कंपनियों के गुट बनाकर किराया बढ़ाने का कोई प्रमाण नहीं मिला है। यह बात भारतीय प्रतिस्पर्घा आयोग (सीसीआई) ने कही। इधर, किंगफिशर एयरलाइंस के बंद होने के बाद बेकार बैठे पायलेटों की उम्मीद अब कैप्टन गोपीनाथ के नए उद्यम पर जा टिकी है।
आयोग के चेयरमैन अशोक चावला ने कहा कि यदि गुट होता जो कि अकसर बेइंतहा मुनाफा कमाने के लिए बनाया जाता है, तो विमानन कंपनियों को नुकसान नहीं हो रहा होता। लेकिन दरअसल बात यह है कि इनमें से कोई कंपनी मुनाफा नहीं कमा रही है, इसलिए कोई गुट नहीं बना है। हालांकि गुट बनाकर हवाई किराया बढ़ाने से जुड़े संवेदनशील मामले की जांच कई बार हो चुकी है।
गोपीनाथ से उम्मीदें
निजी क्षेत्र की किंगफिशर एयरलाइंस के पायलटों की उम्मीदें पूर्ववर्ती डेक्कन एयर के संस्थापक कैप्टन गोपीनाथ के प्रस्तावित नए उद्यम पर टिकी हैं। फिलहाल किंगफिशर के जल्द उड़ान भरने की उम्मीद नहीं है, ऎसे में एयरलाइन के पायलट लगातार इस प्रस्तावित नई कंपनी के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं और पूछताछ कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि जेट एयरवेज, स्पाइसजेट, इंडिगो तथा गोएयर नई नियुक्तियां नहीं कर रही हैं।
किंगफिशर के पायलटों और अन्य कर्मचारियों को पिछले 8 माह का वेतन नहीं मिला है। अब उनकी उम्मीदें गोपीनाथ के इस नए विमानन उपक्रम पर टिकी हैं। किंगफिशर कर्मचारियों को 8 माह से वेतन नहीं मिला है। हालांकि मुख्य कार्यकारी संजय अग्रवाल ने यह लिखित आश्वासन दिया था कि कर्मचारियां का जून माह तक का वेतन क्रिसमस से पहले दे दिया जाएगा।
जनवरी में हो जाएगा करार खत्म
डेक्कन के संस्थापक ने 5 साल पहले 2007 में अपनी विमानन कंपनी माल्या को 550 करोड़ रूपए में बेची थी। उनका माल्या के साथ 5 साल का गैर प्रतिस्पर्घा करार है। यह करार 28 जनवरी, 2013 को खत्म हो रहा है। एक पायलट ने कहा कि हममें से कुछ लोग कैप्टन गोपीनाथ के साथ पहले भी काम कर चुके हैं। नुकसान के बावजूद भी उन्होंने कभी कर्मचारियों को वेतन देने में विलंब नहीं किया।