अमेरिका ने खतरे के चलते लाहौर कॉन्सुलेट से कर्मचारियों को वापस बुलाया
वाशिंगटन: अमेरिका ने पाकिस्तान के शहर लाहौर स्थित अपने वाणिज्य दूतावास में से सभी गैर जरूरी कर्मचारियों को दूतावास पर आतंकवादी हमले के खतरे के मद्देनजर वहां से हटा लिया है।
अमेरिका ने इसके साथ ही अपने सभी नागरिकों को पाकिस्तान की अनावश्यक यात्रा से बचने के लिए परामर्श जारी किया है। अल कायदा के अंतरराष्ट्रीय स्तर के अलर्ट के मद्देनजर यह परामर्श जारी किया गया है।
विदेश विभाग के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया, आज विदेश विभाग ने हमारे पाकिस्तान के लाहौर स्थित वाणिज्य दूतावास से गैर जरूरी कर्मचारियों को निकालने के आदेश दिए हैं। हम लाहौर में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के खिलाफ आतंकवादी हमले की विशिष्ट चिंताओं के चलते यह कदम उठा रहे हैं।
अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि विदेश विभाग अपने कर्मचारियों और दूतावास में आने जाने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठा रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग ने यात्रा परामर्श भी जारी किया है। कई विदेशी और स्थानीय आतंकवादी समूहों की ओर से पूरे पाकिस्तान में अमेरिकी नागरिकों को खतरे की आशंका के मद्देनजर यात्रा परामर्श में उन सभी से पाकिस्तान की गैर जरूरी यात्रा से बचने को कहा गया है।
विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नागरिकों से कहा गया है कि यात्रा चेतावनी के बावजूद लाहौर में बने रहने वाले अमेरिकी नागरिकों को चाहिए कि वे देश के भीतर गैर जरूरी आवाजाही से बचें, अपने आसपास के बारे में सतर्क रहें, अपनी खुद की आपात योजना बनाएं, स्मार्ट ट्रेवलर एनरोलमेंट प्रोग्राम (एसटीईपी) के माध्यम से पाकिस्तान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं। यात्रा परामर्श के अनुसार, देशभर में असैनिक सरकारी और विदेशी प्रतिष्ठानों के खिलाफ अक्सर आतंकवादी हमले होते रहते हैं।
इसमें कहा गया है, हमलों में उच्च सुरक्षा वाले प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया है, जिनमें पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान भी शामिल हैं। पाकिस्तान सरकार प्रमुख शहरों समेत देश भर में उच्च सुरक्षा बरतती है। खतरे की रिपोर्ट में संकेत मिलता है कि आतंकवादी समूह लगातार उन स्थानों को निशाना बनाने की ताक में रहते हैं, जहां अमेरिकी नागरिक और पश्चिमी नागरिकों के एकत्र होने की संभावना रहती है। आतंकवादी और आपराधिक समूह लगातार फिरौती के लिए अपहरण करते रहते हैं।
उल्लेखनीय है कि अल कायदा के प्रमुख नेताओं के बारे में समझा जाता है कि वे पाकिस्तान में रहते हैं और लाहौर शहर को आतंकवादी समूहों से सहानुभूति रखने वाले अन्य चरमपंथियों के गढ़ के रूप में जाना जाता है।