Archives for जीवन दर्शन - Page 10
सपना तो एक भ्रमजाल है
दोस्तों, मिथिला नगरी के राजा जनक थे। एक रात वे अपने महल में सो रहे थे, तभी उन्होंने एक सपना देखा कि उनके राज्य में विप्लव हो गया है और ...
स्वयं को ऐसा बनाएं ताकि कोई भी हावी न हो सके
आज के समय में काफी लोग ऐसे हैं जो दूसरों से भयभीत रहते हैं। डर के कारण वे अपना काम भी ठीक से नहीं कर पाते। डरने वाले लोगों का ...
महान होने का एहसास हमें घमंडी और क्रूर बना देता है
शहर से दूर एक घने जंगल में एक आम का पेड़ था और एक लंबा और घना नीम का पेड़ था। नीम का पेड़ अपने पडोसी आम के पेड़ से ...
घर बैठा वह आदमी भी साधु है
दोस्तों, एक बार संत फ्रांसिस अपने शिष्य लियो के साथ कहीं जा रहे थे। रात हो चली थी और बहुत तेज बारिश भी हो रही थी। वे कच्ची सड़क पर ...
और देवी अहिल्या के आड़े आ गई गौमाता
आज इन्दौर में (राजबाड़ा के पास) आड़ा बाजार के नाम से जाना जाता है। एक बार की बात है इन्दौर नगर के किसी मार्ग के किनारे एक गाय अपने बछड़े ...
लक्ष्मी जी का वास
लक्ष्मी जी का वास एक बार की बात है, राजा बलि समय बिताने के लिए एकान्त स्थान पर गधे के रूप में छिपे हुए थे। देवराज इन्द्र उनसे मिलने के ...
प्रतिभा और ज्ञान
एक संत को जंगल में एक नवजात शिशु मिला। वह उसे अपने घर जे आए। उन्होंने उसका नाम जीवक रखा। उन्होंने जीवक को अच्छी शिक्षा-दीक्षा प्रदान की। जब वह बड़ा ...
कर्म ही भगवान है
एक बार की बात है, भगवान और देवराज इंद्र में इस बात पर बहस छिड़ गई कि दोनों में से श्रेष्ठ कौन हैं? उनका विवाद बढ़ गया तब इंद्र ने ...
एक विचित्र स्वप्न
एक मूर्तिकार ने एक रात विचित्र स्वप्न देखा। वह किसी छायादार पेड़ के नीचे बैठा था। अचानक उसे सामने एक पत्थर का टुकड़ा पड़ा दिखाई दिया। उसने उसे उठा लिया ...
दिखावे का दान
जमशेदजी मेहता कराची के प्रसिद्ध कारोबारी व समाजसेवी थे। एक बार उनके पास कराची के जन चिकित्सालय की संचालक समिति के सदस्य चंदा लेने के लिए आए। ये उस अस्पताल ...
सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र
श्री राम के वंश अर्थात् सूर्यवंश में एक राजा हुए थे हरिश्चन्द्र। राजा हरिश्चन्द्र अत्यन्त ही सत्यवाद एवं धर्मात्मा थे। उनकी कीर्ति से देवताओं के राजा इन्द्र को भी ईष्र्या ...
और चमकता तारा बन गया बालक ध्रुव
स्वयंभुव मनु एवं शतरूपा के दो पुत्र थे प्रियव्रत और उत्तानपाद। उत्तानपाद की सुनीति और सुरुचि नामक दो भार्यायें थीं। राजा उत्तानपाद के सुनीति से ध्रुव तथा सुरुचि से उत्तम ...