भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा का बुधवार के दिन दुखद निधन हो गया है। पटवा के निधन से पूरे मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में शोक व्याप्त है। पटवा की पार्थिक देह आज सायंकाल चार बजे से भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यालय पं. दीनदयाल परिसर में अंतिम […]
– दिनकर सबनीश देश की अर्थव्यवस्था में ग्राहक का महत्वपूर्ण स्थान होता है वह राजा होता है ग्राहक तय करता है कि उसे क्या खरीदना है ? क्योंकि उसे चयन का अधिकार प्राप्त है। परंतु अब बाजार घरों में घुस गया है अब बाजार तय कर रहा है कि समाज का व्यक्ति क्या खरीदेगा ? […]
– सुधांशु द्विवेदी भारत के सबसे विश्वसनीय मित्र के रूप में विश्वभर में चर्चित रहे रूस द्वारा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का समर्थन किया गया है। सीपीईसी को रूस का इस ढंग से समर्थन मिलना भारत के लिए एक कूटनीतिक दृष्टि से बिल्कुल ही सही नहीं कहा जा सकता। क्यों कि खासकर दक्षिण एशिया में […]
– रमेश ठाकुर मौत के सौदागरों को फांसी पर लटकाने का फरमान जारी हो चुका है। तारीख मुकर्रर होनी बाकी है। हैदराबाद की जमीन को इंसानी लहू से रंगने वाले आतंकी यासीन भटकल और उसके पांच साथी जल्द ही फांसी के फंदे में झूलते नजर आएंगे। निश्चित रूप से इन पांचों आतंकियों को सूली पर […]
– : डॉ. मयंक चतुर्वेदी बड़े नोटों को बंद करने का निर्णय जिस तरह से सामने आया, उसके बाद देशभर से मिली-जुली प्रक्रिया अब तक आ ही रही है। विपक्ष जहाँ इसके लिए सरकार पर कई आरोप लगा रहा है, यहाँ तक कि देश की जीडीपी ग्रोथ गिरने तक की बात करने के साथ इससे […]
– डा. वेद प्रताप वैदिक आजकल नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच होड़ लगी हुई है। वे दोनों एक से बढ़ कर एक बयान दे रहे हैं। लगता है, पक्ष और विपक्ष के नेताओं में कोई खास अंतर नहीं रह गया है। दोनों एक ही स्तर पर पहुंच गए हैं। दोनों की शिकायतें एक-जैसी […]
– अवधेश कुमार अगर विपक्ष के बयानों को देखें तो ऐसा लगेगा कि संसद न चलने देने के लिए खलनायक सरकार है। बड़ा अजीबोगरीब दृश्य बना हुआ है। संसद आरंभ होते ही विपक्ष हंगामा करता है और पीठासीन अधिकारी के सामने स्थगित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। संसद में बहस करने की जगह […]
– डॉ. मयंक चतुर्वेदी लोकतंत्र शासन प्रणाली में जनता भगवान होती है, उसके रुख से ही यह तय होता है कि किस पार्टी की नीतियों के लिए उसका बहुमत है। जब से केंद्र में भाजपा की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने हैं, विपक्ष किसी न किसी बहाने, बिना कोई सार्थक मुद्दा होने के बावजूद […]
– बॉबी घोष साल 1988 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में मुकाबला रिपब्लिकन जॉर्ज डब्ल्यू. बुश और डेमोक्रेट माइकल डुकाकिस के बीच था। उस चुनाव के एक स्टिकर ने तब देश के मूड को उजागर किया था- ‘शुक्र है कि हमें सिर्फ इन्हीं दोनों में से एक को चुनना है! जाहिर है, वह बेहद लोकप्रिय हुआ […]
– सुधांशु द्विवेदी वन रैंक वन पेंशन योजना (ओआरओपी) के मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक पूर्व सैनिक ने आत्महत्या कर ली। पुलिस का कहना है कि पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल ने जहर खाकर जान दी। उक्त पूर्व सैनिक अन्य पूर्व सैनिकों के साथ मिलकर ओआरओपी मुद्दे पर रक्षा मंत्री को ज्ञापन […]