भोपाल। राज्य सरकार मध्यप्रदेश में अल्प वर्षा से उत्पन्न स्थिति और सूखे की आशंका को लेकर पूरी तौर पर सजग है। राज्य मंत्रि-परिषद और कृषि कैबिनेट की हाल ही में हुई बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रि-परिषद के सदस्यों को अपने-अपने प्रभार के जिलों में भ्रमण कर अल्प वर्षा से उत्पन्न स्थिति की जानकारी लेने और इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये हैं। प्रभारी मंत्रीगण जल उपयोगिता समिति की बैठक भी लेंगे।
राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार के वर्ष 2016 में तैयार किए गए सूखा मेन्यूअल के अनुसार प्रदेश में सूखा ग्रस्त क्षेत्र घोषित करने के लिए वर्षा की जानकारी के साथ ही ड्राय स्पेल, सुदूर संवेदन तकनीक (रिमोट सेंसिंग), बांधों एवं जलाशयों में जल संग्रहण और भू-जल स्तर की जानकारी एकत्रित की जा रही है। भारतीय मौसम विभाग, महलोनोबीज़ नेशनल सेन्टर फार क्राप फोरकास्ट, सेन्ट्रल वाटर कमीशन, सेन्ट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा कृषि विश्वविद्यालयों जैसी संस्थाओं से यह जानकारी एकत्रित की जा रही है। इन सभी संस्थाओं को उपरोक्त जानकारी शीघ्र भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
राज्य शासन द्वारा 18 सितम्बर तक यह जानकारी एकत्रित कर राज्य में मध्यावधि सूखा क्षेत्र तत्काल घोषित करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित स्टेट वाच ग्रुप की बैठक बुलाकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। प्रदेश में वर्तमान में 35 जिलों में सामान्य से 20 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है। प्रदेश के कुल 25 जिलों में 25 प्रतिशत कम बारिश हुई है।
दिनांक 30 सितम्बर तक की स्थिति में भी उपरोक्त सूचकांक की जानकारियों को पुन: एकत्रित कर अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित स्टेट वाच ग्रुप के माध्यम से समीक्षा कर उस समय की स्थिति अनुसार अन्य जिलों को भी सूखा ग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की कार्रवाई की जाएगी।
खरीफ फसलों को अल्प वर्षा की स्थिति से होने वाले नुकसान पर भी राज्य सरकार की निगाह है। साथ ही 15 सितम्बर से 15 अक्टूबर की अवधि के बीच प्रदेश भर में किसान सम्मेलन का आयोजन कर किसानों को आगामी रबी फसल के लिए, कम अवधि और सूखारोधी फसलों की जानकारी दी जाएगी।