बड़वानी। सरदार सरोबर बांध की ऊंचाई बढ़ाने से मध्यप्रदेश के डूब प्रभावितों के हक की लड़ाई लड़ रही नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने इन दिनों बड़वानी और धार जिलों में न केवल अपनी राजनीति चमका रही हैं, बल्कि सरकार विरोधी माहौल भी बना दिया है। जेल से छूटने के बाद विगत मंगलवार से उन्होंने डूब प्रभावितों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से न्याय यात्रा शुरू की है, जिसे क्षेत्र के नागरिकों का अपार समर्थन मिल रहा है।
मेधा पाटकर की न्याय यात्रा गुरुवार को कसरावद ब्लॉक के ग्राम सायता पहुंची, जहां आसपास के गांवों के हजारों लोग यात्रा में शामिल हुए। इस दौरान गांव में विशाल रैली निकाली गई और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। मेधा पाटकर ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा की गई घोषणाओं और प्रशासन द्वारा दिए गए आदेशों में काफी फर्क है। इसके चलते डूब प्रभावितों को उनका वाजिब हक नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि डूब प्रभावित गांवों के लोगों को अभी तक मुआवजा नहीं मिल पाया है, जिसके चलते कई क्षेत्र अब तक खाली नहीं हो पाए हैं, जबकि नर्मदा का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे डूब क्षेत्रों में अब तक जो लोग बसे हुए हैं, उनकी जान के साथ-साथ आर्थिक नुकसान की संभावना भी बनी हुई है। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह डूब प्रभावितों को जल्द से जल्द मुआवजा दे और डूब क्षेत्रों में रह रहे लोगों का सुरक्षित स्थनों पर सभी सुविधाओं के साथ पुनर्वास कराया जाए।
गुरुवार को न्याय यात्रा बड़वानी जिले के कसरावद ब्लॉक के कई गावों का भ्रमण करते हुए सायता गांव पहुंची, जहां विशाल रैली निकाली गई, जिसमें हजारों ग्रामीण शामिल थे। न्याय यात्रा का नेतृत्व कर रहीं नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने डूब प्रभावितों के नाम पर जहां प्रदेश की राजनीति में अपनी अलग पहचान बना ली है, वहीं डूब प्रभावितों के बीच अपनी पकड़ भी मजबूत कर ली है। इसी के चलते उनकी न्याय यात्रा को भारी समर्थन मिल रहा है और हजारों की संख्या में लोग उनके साथ सरकार के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं।