नई दिल्ली। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम) ने मानसून सत्र को लेकर सरकार को घेरते हुए कहा कि भारत के संसदीय इतिहास में अब तक के सबसे छोटे सत्र में केंद्र ने 16 नए बिल, 10 लंबित, लगभग हर मिनट एक बिल बिना चर्चा के पारित करने की योजना बनाई है जोकि लोकतंत्र विरोधी है।
केंद्र की ओर से मानसून सत्र से पहले आयोजित बैठक में हिस्सा लेने के बाद सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा- संभवतः भारत के संसदीय इतिहास में ये मानसून सत्र अब तक का का सबसे छोटा सत्र होगा। जिसमें विधायी कार्य़ के लिए केवल 14 गैर-शुक्रवार कार्य दिवस होगें।
इस सत्र के लिए, सरकार ने 16 नए बिलों की सूची दी है, जबकि पहले से ही 10 बिल आरएस में लंबित हैं और एलएस में 8 है। इसके अलावा, सरकार अनुपूरक अनुदानों पर भी विचार-विमर्श करने की चाहती है। यह असंभव है, जब तक कि सरकार इन सभी बिलों और हर मिनट में बिना किसी भी चर्चा में अनुदान देने की योजना बना रही है।
येचुरी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, ‘यह हमारे लोकतंत्र के लिए विनाशकारी है। सदन को सुचारू और प्रभावी ढंग से चलाने का जिम्मेदार सरकार पर है।‘ उन्होंने कहा सरकार को विधायी कार्रवाई को प्राथमिकता देना चाहिए तीन नए बिल जो सूची में नहीं हैं- महिला आरक्षण विधेयक (प्रधानमंत्री ने यह आश्वासन दिया कि बहुमत के समर्थन में यह उठाया जाएगा, तीन बहुमत से गुजरे हैं, ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा है?), किसानों को एमएसपी में बेचने का अधिकार होने के लिए कृषि संकट और संकट की कानूनी स्थिति की आवश्यकता है और गोपनीयता का अधिकार, आधार के प्रावधानों और जियो से संबंधित नवीनतम सुरक्षा उल्लंघनों के साथ अधिक। इन्हें तुरंत ही लिया जाना चाहिए।
येचुरी ने बैठक में चर्चा का जिक्र करते हुए कहा, ‘हमने सरकार को यह भी बताया है कि हम देश में आंतरिक सुरक्षा की स्थिति बिगड़ने पर चर्चा करना चाहते हैं। सरकार की नीतियों और कार्रवाइयों से लोगों पर बढ़ते हुए इकोनॉमिक बोझ के खतरनाक तक पहुंचने को लेकर नोटिस दिया है, जो भारतीयों के बड़े खंड के लिए हमारे सिस्टम में विश्वास को नष्ट करने की धमकी दे रहा है। हमारे संविधान में सभी भारतीयों के विश्वास को बहाल करने के लिए उनका जोरदार विरोध किया जाना चाहिए और कार्रवाई की जानी चाहिए।‘