मोटापा वो स्थिति होती है, जब अत्यधिक शारीरिक वसा शरीर पर इस सीमा तक एकत्रित हो जाती है कि वो स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालने लगती है। यह आयु संभावना को भी घटा सकता है । मोटापा ना सिर्फ मधुमेह जैसे रोगोंको आमंत्रित करता है अपितु समानांतर रोगों का जन्म कारक भी है । क्या वजहहै, जो आदिवासियों में मोटापा, मधुमेह, उच्च या निम्न रक्तचाप जैसी समस्याएं देखने नहीं मिलती ।
डा. हितेश कौशिक ने बताया कि मोटापे केकारण हडिडयों व जोडो को सही पोषण नही मिल पाता है व दूसरी ओर उन परन वनज भीरहता है। जिस कार्टिलज के टूटने की सम्भावना बढ़ जाती है। मोटापे का मुख्यकारण फेट बढ़ना होता है जोकि अपने-आप भी ऐसे रसायन स्राबित करता है जो सूजनबढा देते है। इसलिए उन्होंने लहसुन, अहरख, गिलोय का सेवन करने व व्यायाम वयोग करने की सलाह दी ।
डॉ. कौशिक का कहना है कि प्रातः एक गिलास ठंडे पानी में 2 चम्मच शहद घोलकर पीने से भी कुछ दिनों में मोटापा कम होने लगता है ।
इसके अलावा मूली के रस में थोडा नमक और निम्बू का रसमिलाकर नियमित रूप से पीने से मोटापा कम हो जाता है और शरीर सुडौल हो जाता है । वहीं नियमित रूप से एक महीनें तक गेहूं का दलिया या गेंहूं के अंकुरण के रस का नियमित सेवन करने से भी मोटापा और मधुमेह में आश्चर्यजनक लाभ होता है ।