नई दिल्ली। इलैक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) टैम्परिंग को लेकर चल रही राजनीतिक बयानबाजी पर लगाम लगाने के उद्देश्य से चुनाव आयोग ने ईवीएम का एक वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में दिखायी गया है कि ये मशीनें कितनी सुरिक्षत एवं टैम्परप्रूफ हैं। आयोग द्वारा इस वीडियो को जारी करने का उद्देश्य जनता के बीच चुनावी साक्षरता फैलना भी है।
5 मिनट 33 सैकेंड के इस वीडियो में स्वयं ईवीएम बता रही है कि वह क्यों एवं कैसे तकनीकी रूप से न भेदने योग्य है। साथ ही बताया गया है कि भारत में बीईएल एवं ईसीआईएल ही ईवीएम बनाती हैं और ईवीएम में इंटरनेट के साथ कोई कनेक्टिविटी नहीं है। इसीलिए इसे हैक करने जैसी खबरें बिल्कुल निराधार हैं। ईवीएम में ब्लूटूथ एवं वाईफाई जैसे फीचर भी नहीं हैं। इसीलिए मशीनों को हैक करके उसके डाटा के साथ छेडछाड़ करना अकल्पनीय है।
वीडियो में ईवीएम के तकनीकी पक्षों के बारे में जानकारी देते हुए कहा गया है कि इनका सॉफ्टवेयर एक चिप में समाहित होता है। ईवीएम मशीनों के हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर का मूल्याकंन देश के विभिन्न भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान (आईआईआई) के ख्यातिप्राप्त प्रोफेसर करते हैं। इतना ही नहीं समय-समय पर ईवीएम के मल्टीपल सिक्योरिटी आॅडिट भी होते हैं। साथ ही वीडियो में बताया गया है कि मतदान से एक घंटा पहले राजनीतिक पार्टियों के एजेंट की मौजूदगी में ईवीएम का एक मॉकपोल होता है जिसमें 50 वोट डाली जाती हैं। पार्टियों के एजेंट के मॉकपोल से संतुष्ट होने के बाद इनके ऊपर एक न टूटने वाली सील लगा दी जाती है। यह सील नासिक स्थित भारत सरकार की प्रेस में प्रिंट की जाती है। मतदान कक्ष में मौजूद पोलिंब एजेंट की संतुष्टि के बाद वास्तविक मतदान शुरू होता है।